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प्रदेश में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कार्यरत एक अध्यापिका पर आरोप लगा है कि गलत दस्तावेजों के सहारे 25 विद्यालयों में विज्ञान की अध्यापिका के रूप में नियुक्ति ली और इस शिक्षिका ने एक वर्ष तक वेतन लिया। मतलब 24 शिक्षिकों का वेतन भी स्वयं ले लिया। दिन शुक्रवार को बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ0 सतीश चंद्र द्धिवेदी ने पूरे प्रकरण की जांच कर FIR के निर्देश दिए और कहा इस प्रकरण में जो भी शामिल हैं उनके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जाए।
साथ ही प्रदेश भर में चल रहे कस्तूरबा आवासीय विद्यालयों में कार्यरत सभी कर्मचारियों की नियुक्ति की जांच के भी आदेश दिए हैं।
हाल में ही 2019 में हुई थी कस्तूरबा विद्यालयों ने शिक्षकों की नियुक्ति।
इस शिक्षा के क्षेत्र में भी गुरु जी जो बच्चों को सही राह पर चलने की शिक्षा देते हैं आज ऐसे शिक्षक भी ऐसे हो गए हैं जो खुद अपनी राह भटक गए हैं। ऐसे कर्मचारी हो गए जो किसी भी हद तक इस प्रकार का भ्रष्टाचार करने में किसी न किसी रूप में शामिल हो गए जो खुद अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पढ़ने भेजते हैं।
क्या शिक्षा से बढ़कर पैसा हो गया है हम सबके जीवन में जो किसी भी हद तक गलत किया जा सकता है।
इस मामले की शुरुआत बागपत के बड़ौत से सामने आया।
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में विज्ञान सहित अन्य विषयों के शिक्षकों की भर्ती हुई थी। हर एक ज़िलें मे विज्ञापन निकालकर अलग-अलग तिथियों में भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी।
आरोप है कि मैनपुरी की अनामिका शुक्ला प्रयागराज कस सोरांव, रायबरेली के बछरावां, अमेठी, बागपत, अम्बेडकर नगर, सहारनपुर, अलीगढ़, समेत 25 जिलों में संविदा पर विज्ञान अध्यापिका के रूप में आवेदन किया। आवेदन में गलत दस्तावेजों के आधार पर वर्तमान पता संबंधित जिला दिखाकर नियुक्ति पा ली थीं। एक ही नाम से मानदेय निकलने और नियुक्ति का डेटाबेस जब निदेशालय पहुँचा तो हड़कंप पूरे महकमे में मच गया।
11 मार्च 2020 को बेसिक शिक्षा के महानिदेशक विजय किरण आनंद ने अयोध्या, सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, प्रयागराज के मंडलीय सहायक निदेशक बेसिक को जांच सौंपी गई तो 25 जिलों में अनामिका शुक्ला नौकरी करती पाई गई, दस्तावेजों के अनुसार।