विश्व मे कोरोना के संकट काल मे जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। आर्थिक स्थिति भी इस घड़ी में सबकी बिखर सी गयी है। फिर भी धैर्य रखकर सभी अपने जीवन का यापन कर रहे हैं। मगर हालात है कि सुधारने का नाम नही ले रहे हैं। अब इस घड़ी में जिन परिवारों में नौकरी खोई है उनका हालात भी नाजुक हो गए हैं। कुछ का तो रोजी रोटी का काम ही बंद हो गया है। कुछ उम्मीद लगा के बैठे है कि शायद कोई उम्मीद की किरण फिर से उनके जीवन मे बदलाव लाये और अपने परिवार को का भरण पोषण करने के लिए नौकरी मिल जाये तो कुछ ने उम्मीद ही छोड़ दी है कि अब नौकरी चली गयी है तो आगे क्या करें कुछ तो तनाव में भी है कि उनका जेवन यापन कैसे होगा कुछ के धंदे बैंड हो चुके हैं।
समय, हालात और परिस्थिति ऐसी है कि न किसी से कहते बनता है ना कुछ करते बनता है। फिर भी किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं।
इसका परिवर्तन कब होगा कैसे होगा और कब पहले जैसी बाजार में सुधार होगा कब जीवन खुशहाल होगा इस घड़ी में।
पुरे विश्व ही उम्मीद लगा के बैठा है कि कब ऐसे माहौल से बाहर निकल पाएंगे। चिंता की लकीरें कब दूर होंगी कब ये भय का माहौल हटेगा कब खुशहाल जिंदगी पहले जैसी होगी।